वैश्विक पारगमन प्रणाली दक्षिण एशिया में व्यापार की असीम संभावना लिए हुए है


टीआईआर (अंतर्राष्ट्रीय सड़क परिवहन) में दक्षिण एशिया के लिए व्यापार की असीम संभावना छिपी है

नई दिल्ली, Oct. 25, 2017 (GLOBE NEWSWIRE) --

बंग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल क्षेत्र (बीबीआईएन) में एक समेकित बाज़ार को प्रत्साहन देते हुए, जयपुर आधारित सीयूटीएस इंटरनेशनल (कंज़्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी, अर्थात, उपभोक्ता एकता और विश्वास सोसाइटी) ने, अंतर्राष्ट्रीय सड़क परिवहन संघ (आईआरयू) की साझेदारी में, आज बहुपक्षीय पारगमन प्रणाली के लाभों पर एक अध्ययन जारी किया। यह वैश्विक स्तर पर लागू होने वाली टीआईआर जैसी एक प्रणाली है, जो इस क्षेत्र में व्यापार को सुगम बनाती है। 

यह अध्ययन आज भारत द्वारा अपनी टीआईआर संचालन समिति की घोषणा के साथ-साथ जारी किया गया। सड़क परिवहन सेवाओं की एक सुदृढ़ वैश्विक संरचना के ज़रिए आर्थिक विकास और टिकाऊ विकास को लाभान्वित करने की टीआईआर की संभावना को इस पूरे क्षेत्र में उत्तरत्तर मान्यता मिलने लगी है। यह अध्ययन भी इसी विचार को और भी अधिक संपुष्ट करता है।

सीयूटीएस अंतर्राष्ट्रीय के कार्यकारी निदेशक विपुल चैटर्जी ने कहा, “क्षेत्रीय जुड़ाव को बढ़ावा देने में टीआईआर के महत्व को देखते हुए, और भारत द्वारा टीआईआर संधि में शामिल होने का निर्णय ले लेने के बाद, हमारे पड़ौसी देशों द्वारा टीआईआर अपनाने के लिए प्रबल औचित्य पैदा हो गया है।”

एक प्रमुख व्यापार नेटवर्क विकसित करने की बीबीआईएन की क्षमता का विश्लेषण करते हुए यह अध्ययन सीमाओं को पार करने वाले वाहनों की आवाजाही में रुकावटें डालने वाली कार्यविधि-संबंधी और अधिरचना-संबंधी अवरोधों को रेखांकित करता है। उदाहरण के लिए, भारत और बंग्लादेश के सीमा-कर विभागों की कार्यविधियों में 22 दस्तावेज़ों, 55 हस्ताक्षरों और एक दर्जन से अधिक फोटो-प्रतिलिपियों की आवश्यकता पड़ती है। और तो और, इन दस्तावेज़ों के संरूप और मानक भी अत्यंत भिन्न-भिन्न हैं।

फिर भी हाल में एक-पक्षीय, द्वि-पक्षीय, क्षेत्रीय और बहु-पक्षीय व्यवस्थाओं में हुई प्रगति के कारण इन चार देशों के बीच जुड़ाव अधिक घनिष्ट और सुगम हुआ है। इसमें उल्लेखनीय है 2015 का मोटर वाहन समझौता। यह समझौता व्यापार को सुगम बनाने में हुई प्रगति का एक कीर्ति-स्तंभ है, जो इन देशों में परस्पर जुड़ाव स्थापित करने में निवेशों को प्रोत्साहन दे रहा है।

लेकिन, इस समझौते के क्रियान्वयन को प्रभावकारी बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित पारगमन प्रणाली की आवश्यकता है, जो न केवल इन चारों देशों में सक्रिय रहे, बल्कि जो बीबीआईएन क्षेत्र को विश्व के अन्य बाज़ारों के साथ जोड़े भी।

टीआईआर और व्यापर व्यवस्था के लिए वरिष्ठ सलाहकार कैज़ेम अयायेश ने टिप्पणी की, “बीबीआईएन देशों में टीआईआर प्रणाली के कार्यान्वयन से इस संपूर्ण क्षेत्र में दस्तावेज़ों और कार्यविधियों के मानकीकरण को ही नहीं बल्कि परिवहन, पारगमन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे वृद्धि के मार्ग में खड़े कुछ प्रमुख अवरोध तुरंत हट जाएँगे और क्षेत्रीय समेकन को प्रोत्साहन मिलेगा।”

इस अध्ययन के अंत में कहा गया है कि बीबीआईएन के मोटर वाहन समझौते में व्यक्त आदर्शों को साकार करने के लिए टीआईआर सर्वोत्तम, आज़माया हुआ, सीमा-कर पारगमन समाधान है, जो क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय व्यापार के अबाध बहाव को संभव बना सकता है। 

अध्ययन में अर्थव्यवस्थाओं में कायाकल्प लाने में सड़क परिहन के अति-महत्वपूर्ण भूमिका को, तथा इस प्रयास में टीआईआर जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुगमीकरण समझौतों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले उत्प्रेरण को रेखांकित किया गया है। 

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कैरेन मैज़ोली
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